एक सच्ची कहानी पर निर्धारित ये आपके दिल को जरूर छूएगी :
“Father and Son’s Inspiring Journey

एक छोटे से गांव में एक साधारण परिवार रहता था। इस परिवार में सिर्फ दो लोग थे – पिता रामू और उसका बेटा रवि !
रामू मजदूरी करता था, जो भी काम मिलता, उसी से वह और उसका बेटा अपना पेट भरते थे। उनकी जिंदगी परेशानियों से भरी थी, लेकिन उन्होंने कभी भी हार मानी ओर मेहनत करते रहे दिन रात !
रवि एक बहुत मेहनती और बहादुर लड़का था। उन्होंने अपनी जिंदगी के लिए बहुत बड़े बड़े देख रखे थे ,परंतु घर की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अपने ख्वाब पूरे कर सके। गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ाई करता था, जहां की हालत बहुत अच्छी नहीं थी।
पैसे की कमी की वजह से न वो अच्छे कपड़े पहन पा रहे थे ओर न ही वो किताब खरीदने की ताकत रखते थे!
आप जो पढ़ रहे है ये है एक “Father and Son’s Inspiring Journey
रवि के सपने इतने बड़े थे की वो सोच रखा था एक दिन वह घर की हालत भी सही कर देगा ओर अपने पापा की सारी मुश्किल को हर कर देगा
वो इतना मेहनती था की वह स्कूल से लौटने के बाद अपने पापा के साथ खेत मे उनके साथ जितना भी हो सके हाथ बंटाता था ओर इसी मेहनत से वो अपना ओर अपने घर का भविष्य सही करना चाह रहा था! ओर ओर रात मे बिना बिजली के रात भर पढ़ाई करता था !
इन सब मेहनत को देखकर उसके पिता अपने दिल ही दिल मे सोच करते थे की काश मैं अपने बेटे की पढ़ाई करने अच्छे से स्कूल मे उसका दाखला कर पाता पर करे तो क्या करे वो पिता भी पैसों की वजह से मजबूर था ! लेकिन फिर भी वो अपने बेटे को दिन रात यही बात उसके कान मे डालता था
ये होती है पापा ओर बेटे के बीच का रिश्ता:-

की बेटा तू मेहनत कर क्योंकि एक कहावत है “सच्चे मन की गई मेहनत कभी बेकार नहीं जाती” ओर अगर तुम सच्चे दिल से मेहनत करोगे तो एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी!
रवि इतना मेहनती था की उसके शिक्षक भी उनसे बहुत खुश थे ओर ओर उन्हें आगे बढ़ने मे उसकी मदद करते थे! इन सब की वजह से रवि ने अपना कक्षा दसवीं पास किया ओर उसमें उन्हे अंक प्राप्त हुए! घर मे खुशी का माहौल था लेकिन पिता की आंखे नाम ही गई इस बात से की काश मेरे पास इतने पैसे होते की मैं अपने बेटे को पढ़ाई करने के लिए शहर भेज पाता!
आँखों मे आँसू थे पापा के लेकिन वह अपने बेटे का सपना टूटने नहीं देना चाह रहा था! घर मे जीतने गहने थे वो सब गिरवी रख दिए ताकि वो अपने सपने पूरे कर सके! शहर जाके पढ़ाई कर पाए !
ओर रवि को भी अपने घर के हालत के बारे अच्छे से पता था वो चाह कर भी कुछ अपने पापा के ऊपर प्रेशर नहीं डालना चाह रहा था!
तो वो किसी तरह शहर गए ओर वो ठहरे गाँव से तो उसे शहर मे अपने आप को ADJUST करने मे बहुत दिक्कत हो रही थी, फिर भी उसने हार नहीं मानी किसी भी तरह दिन रात मेहनत करता रहा ओर अपने पिता की उम्मीदों को जीवित रखने के हर असंभव से असंभव परिस्थितियों का सामना कर रहा था।
वक्त बीतता गया ओर एक वक्त में रवि ने अपनी ग्रैजवैशन की पढ़ाई पूरी कर ली! ओर अब उसकी एक कंपनी मे काम करने लगा! जब उसे पहली सेलरी मिली, तो सबसे पहले अपने पिताजी को फोन करके कहा “पिताजी अब मैं कमाने लगा हूँ” अब आपको ओर मेहनत नहीं करनी पड़ेगी!
ये सब सुनकर उसके पापा के आँखों मे आँसू थे ! उसे अपने बेटे पर बहुत गर्व हुआ ओर उसकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था, फिर रवि ने अपने पिता की गिरवी हुआ घर जमीन सब वापस छुड़वा लिया ओर उन्हे बोल की पापा अब आराम कीजिए ओर उन्हें आराम की जिंदगी दी !
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Conclusion (निष्कर्ष):
इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि चाहे परिस्थितियां कितनी भी कठिन क्यों न हों, अगर हमारे दिल में सपने हैं और उन्हें पूरा करने का जुनून है, तो हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।
रवि और रामू की यह कहानी इस बात का उदाहरण है कि(Father and Son’s Inspiring Journey) मेहनत और समर्पण से किसी भी सपने को हकीकत में बदला जा सकता है।